" कान्हा "
नटखट कान्हा मनभावन
मोहक छवि, चंचल नयन
गोकुल बलिहारी जिस पर
ऐसी है उसकी चितवन !!
गोपियों का वह चितचोर
राधा का अटका उसमें मन
वो है तो हर्षित नर-नारी
उसके बिन सूना मधुबन !!
माखन चोरी का भोलापन
श्रीदामा से ह्रदय मिलन
उसी कृष्ण की गाथा हैं
जिसने दिया गीता प्रवचन !!
कंस, पूतना तार दिए सब
दुष्टों का कर दिया दलन
हे कृष्ण फिर आ जाओ तुम
धरती को कर दो पावन !!
हे मधुसूदन , भूल गये क्या
तुमने जो था दिया वचन ?
"जब -जब पाप का बोझ बढ़ेगा,
आऊँगा करने दमन !"
धरती करती है आह्वाहन
आ भी जाओ देवकी नंदन
फिर लाज बचाओ भारत की
फिर छोड़ो अपना सुदर्शन !!!