Thursday, June 7, 2012

यथार्थ या परिकल्पना


       क्या है अधिक मधुर, बोलो 
      यथार्थ या परिकल्पना ?
      वह यथार्थ , जो पूर्ण हुआ 
      साक्षात् हुआ , भुक्त हुआ 
     ज्ञात हुआ,  अनुभूत हुआ ?
     या जन्म दे गया कल्पना को 
     अपूर्ण, अतृप्त , शेष रह कर !!
      दे गया है एक असीमित परिधि 
      अपने रंगों से रंगने को 
      अपनी उड़ान खुद भरने को 
      अपने  आकाश को  छूने को 
       राह में आए मोड़ों को 
      अपने अनुसार ही मोड़ने को 
      अपनी इच्छा तक जीने को,
      या इच्छा  का दम तोड़ने को ......!!
      है आकर्षण यह अज्ञात का 
      अथवा है असीम होने का 
       है संतोष न पाने का 
       या असंतोष कुछ खोने का .......?
       क्या है अधिक मधुर, बोलो 
       यथार्थ या परिकल्पना ?

     
   
      

2 comments:

अगर आयें हैं तो कुछ फरमाएँ !