वो लाये थे तूफ़ान से कश्ती निकाल के
चाहा था रखें देश को अब हम सम्भाल के
दे दी थी अपनी जान उन्होंने निकाल के
हुए शहीद पूत वो भारत विशाल के !!!!
हमने मगर न देश का कोई चलन किया
खुदगर्जों का नेता के रूप में वरण किया
बहके हमारे पुरखे भी उस भेड़-चाल से
कैसे रखें बताओ अब वतन सम्भाल के !!!
गुलामी की जंजीरों से कब भी कहाँ बचे
षड्यंत्र सत्ताधारियों ने खूब हैं रचे
अब भी हैं फिरंगी तो हमवतन की खाल में
कैसे रखें बताओ अब वतन सम्भाल के !!!
दीमक लगी जो देश को, उसको हटाना है
चर्बी चढ़ी लालच की जो, उसको घटाना है
सोने की चिड़िया को मुक्ति दिलानी है जाल से
तब ही बचेगा मुल्क ऐसे जीर्ण हाल से !!
वो लाये थे तूफ़ान से कश्ती निकाल के
हम को ही तो रखना है इसे देख-भाल के !!!
sone ki chidia ko mukti dilani hai jaal se .....bahut khoob ji
ReplyDeleteshukriya sanand ji :)))
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