Thursday, July 5, 2012

प्रतीक्षा

 

 
सजन तुम बिन कैसा सृजन ?
देव बिन कैसा भजन ?
पायल की झनकार हो क्यूँकर
क्यूँ हो चूड़ियों की खन-खन ??
किस लिए काजल लगाऊं
किसलिए बिंदिया सजाऊं
किस लिए श्रृंगार करूं मैं
किसे रिझाने का करूं जतन ??
हैं शब्द टूटे, क्या करूं
हैं गीत रूठे, क्या करूं
क्योंकर मनाऊं उनको मैं
न दिखता है कोई प्रयोजन !!!
न भाती है सरगम कोई
न सुहाता मौसम कोई
न ही दिखती आसकिरण
मन घूम आता दूर गगन ...............
उन अधूरे स्वप्नों का
एहसास छलता है मन को
पूर्ण करने के लिए
किया था जिनका चयन !!!
बोलो क्या कहूँ इनसे
कितनी अवधि तक रुकें
ये चूड़ी, बिंदिया, गीत, मौसम
तुमको बुलाते हैं सजन !
कब दोगे इन्हें दर्शन ??
कब दोगे मुझे दर्शन ??

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