ताक पर रख कर अपने प्राण
कोई हुआ जाता निष्प्राण
ऐ भ्रष्टाचारियों होश में आओ
होने दो देश का कल्याण !!
तुम्हे नही कुछ पीड़ है होती
क्योंकि तुम हो तृप्त से बढकर
उनका भी तो सोचो ज़ालिम
जो करते उपवास वर्ष भर !
उनका भी हक है रोटी पर
उनमे भी होती है जान
जाने दो उन तक भी निवाला
होने दो देश का कल्याण !!
जिन गरीब हाथों की बदौलत
तुम कुबेर बन बैठे हो
जिस मद में अंधे होकर के
आज नशे में ऐंठे हो
उनका पैसा वापिस लाओ
उनके भी हैं कुछ अरमान
होने दो देश का कल्याण !!
हम अहिंसा पर ही टिके हैं
किन्तु यदि गया कोई प्राण
सत्याग्रह के आन्दोलन में
यदि गंवाई किसीने जान
तुम हत्यारे कहलाओगे
कभी न माफ़ी प़ा पाओगे
अब भी है वक्त सम्भल जाओ
लोकपाल बिल ले आओ
लोकपाल बिल ले आओ !!!
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अगर आयें हैं तो कुछ फरमाएँ !