Sunday, January 6, 2013

तू है कहाँ ?

हे प्रभु, तू है कहाँ ?
क्या कहीं तू सो गया ?
सुन ले,जब तेरे जगत में 
पीड़ितों को न्याय होगा ,
अब तभी मंदिर में तेरे नाम का दीया जलेगा !!

आत्मा के चीथड़े
कर देने वाले वहशियों को,
उन दरिंदों को कुकर्मों का
यथोचित फल मिलेगा ,
अब तभी मंदिर में तेरे नाम का दीया जलेगा !!

अन्नदाता देश का जो,
सींचता भू रक्त से,
भूख से व्याकुल विवश हो
प्राण तजना छोड़ देगा ,
अब तभी मंदिर में तेरे नाम का दीया जलेगा !!

भ्रष्टाचारी,देशद्रोही
शक्तियों के वृक्ष का
नन्द वंश के सरीखा
ही समूल नाश होगा ,
अब तभी मंदिर में तेरे नाम का दीया जलेगा !!


अपनी शक्ति भूल, जो
नारी अहिल्या है बनी ,
उसमें जब दुर्गा की शक्ति
का नया संचार होगा ,
अब तभी मंदिर में तेरे नाम का दीया जलेगा !!

पाप और अधर्म की
गहरी जड़ें मिटाने को,
हर दिशा में गगनभेदी
शंख का जब नाद होगा,
अब तभी मंदिर में तेरे नाम का दीया जलेगा !!


01/01/2013



बलात्कार

आओ दरिन्दों
मुझे लूटो, खसोटो, नोचो !
गौर से देखो
एक नारी हूँ मैं
ब्रहा द्वारा तैयार
तुम्हारे ऐशो आराम का सामान,
तुम्हारी ऐय्याशी का सामान,
तुम्हारी पाश्विक, घिनौनी औऱ नरपैशाचिक
जरूरतों को पूरा करने का सामान !
चिथडे चिथडे कर दो
वो झूठी अस्मिता
जो बचपन से मैं
साथ लेकर जी रही थी !
दिल दहला देने वाली मर्दानगी दिखा दो
सारी दुनिया को !
अरे, मर्द हो !
कोई मजाक है क्या ?
ऐसी दुर्गति करदो
मेरी आत्मा और शरीर की,
कि पूरी औरत जमात
सात पीढियों तक काँपे,
औरत होने के लिये !!
डरो मत !!
अधिक कुछ नहीं होगा !
तुम्हारी तलाश, और कुछ
सजा के बाद सब ठीक हो जायेगा तुम्हारा,
धीरे -धीरे !
मैं शायद न बचूँ
अपने जऩ्मदाताओं की
जीवन पर्यन्त यातना देखने,
और मुझ पर चल रही
टी वी चैनलों की प्राईम टाईम बहस देखने ....
और वे तमाम धरने और प्रदर्शन देखने,
जो इस तुम्हारे क्षणिक सुख से उपजे !!
पर वो सब बाद की बातें हैं !
शायद इतनी आबादी में
सब भूल भी जायें !
पर तुम तो अपना कर्म करो,
जिसके लिये तुम्हे
देवतुल्य पुरुष जीवन मिला है!!
मर्द बनो !! निडर होकर !!!   

19/12/12